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रविवार, 7 फ़रवरी 2010

दोस्त

"जिसके साथ रहकर हम अपने को सर्वाधिक जान सके.......जो हमारे नैराश्य के तिमिर में आशा की दीपशिखा जला दे........जिसकी प्रफुल्लता हमारी सृजनात्मकता के लिए प्रेरणा बने.........जो हमारे विपत्ति के क्षणों में सहारा बने........कमजोर क्षणों में उत्साह का संचार करे..........जो विश्वास शब्द की गरिमा को कायम रखने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दे......
जीवन के उतार चढाव सुख दुःख में एक ऐसा दोस्त मिल जाये तो ज़िन्दगी ख़ुशी का दरिया लगती है ...
उसमे डूब जाने को जी चाहता है .....!

1 टिप्पणी:

shankar chandraker ने कहा…

सचमुच क्या ऐसा दोस्त है दुनिया में. मिल जाये तो जीवन धन्य हो जाये.