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शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

!! योगक्षेमं वहाम्यहम !!

भगवान् श्रीकृष्ण और केवल श्रीकृष्ण ....ह्रदय की अतल गहराइयो में इस अटल अगाध विश्वाश की अनुभूति कीजिये...और छोड़ दीजिये अपनी नैय्या उनके भरोसे...भय को झटक कर दूर फेंक दीजिये...आपत्ति आये आने दीजिये...संकट आये आने दीजिये...आपत्ति से,संकट से बचने का कोई भौतिक उपक्रम मत कीजिये...यदि करते है तो इसका अर्थ है -अभी विश्वाश कच्चा है ...!!जैसे संतान अपने पिता के संरक्षण में निर्भय होकर क्रीडा करती है ,उसे विश्वाश रहता है की मुझ पर कोई संकट आया तो मेरा सरक्षक मौजूद है.ऐसा भरोसा कीजिये....फिर देखिये उन पर किये भरोसे का चमत्कार...!!! देखिये वे अपने आश्वस्ति भरे वचनों से अपनी संतानों को कैसे आश्वस्त कर रहे है ...



                                        "मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख,...!!"
तेरे सब मार्ग न खोल दू तो कहना
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"मेरे लिए खर्च करके तो देख,

कुबेर के भंडार न खोल दूँ तो कहना !!"

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"मेरे लिए कडवे वचन सुन कर तो देख,

कृपा न बरसे तो कहना !!"

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"मेरी बातें लोगो से करके तो देख,

तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना !!"

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"मुझे अपना मददगार बनाकर तो देख

तुझे सबकी गुलामी से न छुडा दूँ तो कहना !!"

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"मेरे लिए आंसू बहाकर तो देख

तेरे जीवन में आनंद के सागर न भर दूँ तो कहना !!"

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"मेरे लिए कुछ बनकर तो देख,

तुझे कीमती न बना दूँ तो कहना !!"

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"मेरे मार्ग पर निकल कर तो देख,

तुझे शांति दूत न बना दूँ तो कहना !!"

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"स्वयं को न्योछावर करके तो देख,

तुझे मशहूर न करा दूँ तो कहना !!"

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"मेरा कीर्तन करके तो देख,

जगत का विस्मरण न करा दूँ तो कहना !!"

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"तू मेरा बनकर तो देख,

हर एक को तेरा न बना दूँ तो कहना !!"