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गुरुवार, 4 मार्च 2010

हुसैनवा कतरी हो गए हमार...!!!सन्दर्भ:मकबूल फ़िदा हुसेन

मकबूल फ़िदा हुसेन जब से 'कतरी'...हुए है...मेरा मतलब हुसेन को जब से कतर की नागरिकता मिली है...भारत में 'कही ख़ुशी कही गम' का माहौल बन गया है...तथाकथित धर्म     निरपेक्षतावादी     छातिया पीट पीट कर स्यापा कर रहे है...जैसे वे एकदम अनाथ हो गए है...दूसरी ओर अपनी अस्मिता को प्रथम वरीयता देने वाला खेमा इस बात पर खुश है कि माँ अपने उस कुल कलंकी पुत्र के भार से मुक्त हुई...जिसने अपनी ही माता के वक्ष-स्थल से खिलवाड़ किया जिसके वक्ष-स्थल के दुग्ध से उसका पोषण हुआ था... हमारी परंपरा क्या कहती है..उसको वरुण गाँधी ने भी दोहराया है- ऐसे हाथो को काट दो...बल्कि में तो कहूंगा काटो मत जड़ से उखाड़ दो ताकि एम.एफ़.हुसेन की सात पीढ़िया भी बिना हाथ पैदा हो जो कभी हिन्दू देवी-देवताओ और भारत माता की नग्न तस्वीर बनाने की जुर्रत सपने में भी न करे...!अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो गीत में भी तो यही कहा है-खीच दो अपने खूँ से जमी पे लकीर छूने न पाए सीता का दामन,रावण कोई... !
हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों की जमात,हमारे तथाकथित प्रगतिशील,और हमारे तथाकथित धर्म   निरपेक्षतावादी  क्या कहते है ...वाकई यह भारतीय लोकतंत्र का अपमान है...भारत की व्यवस्था एक कलाकार की रक्षा करने में असक्षम सिद्ध हुई..भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा की गारंटी देता है ,अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए...हम विश्व-मंच पर क्या मुह दिखायेंगे...आदि-आदि !
                   अरे भाई में तो कहता हू कि हमारे यहाँ तो जब कुत्ता पागल हो जाता है तो नगर पालिका कर्मचारी हाथो में गंगाराम लेकर आते है और कुत्ते को परलोक पठाने के वीसा-पासपोर्ट का इंतजाम कर फ्लाईट में बिठा देते है ...अच्छा है हमारे नगर पालिका कर्मचारियों कों एक काम तो काम करना पड़ा! दूसरी बात यह कि...कलाकार किसी एक देश की सम्पति नहीं होते...९४ वर्षीय हुसेन अब कुछ समय क़तर के शेख के परिवार की महिलाओ की तस्वीरे बनायेंगे तो इसमें आपको हर्ज क्या है ? और इसके बाद भी यदि आपको यानि वही तथाकथित सेकूलर बिरादरी कों हुसेन से अपने परिवार की न्यूड तस्वीरे बनवानी है तो फोटो इ मेल कर दीजियेगा...बन जाएगी...!जब तक देश में ऐसी सेकूलर बिरादरी मौजूद है तब तक हुसेन जैसे विकृत और कुंठित विचारो वाले चित्रकार भारतीय अस्मिता से खिलवाड़ करते रहेंगे...! हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ   पढ़ाने  वालो अपने गिरेबान में झांक कर देखो ....हम इसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं कर सकते...स्वतंत्रता का क्या अर्थ है ?आप को स्वतंत्रता है सड़क पर चलने की तो क्या आप भीड़ में बदतमीजी से हाथ पैर लहरा कर चलेंगे ? याद रखिये आप की स्वतंत्रता वहा पर ख़त्म होती है जहा से दूसरे की नाक शुरू होती है ...समझे क्या...???