नीचे की ओर जाना श्रेष्ठता का परम लक्षण है , क्योंकि नीचे जाने को वही राजी हो सकता है जिसकी श्रेष्ठता इतनी सुनिश्चित है कि नीचे जाने पर नष्ट नही होती है । ऊपर वही जाने को उत्सुक होता है जिसे पता है कि अगर वह नीचे रहा तो निकृष्ट समझा जाएगा । ऊपर की ओर जाने के लिए होड़ लगी है इसके विपरीत नीचे जाने में कोई होड़ नही , कोई संघर्ष नही है , पर वहा जाने को कोई राजी नही है। नीचे की ओर जाना आन्तरिक श्रेष्ठता है।
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