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रविवार, 7 फ़रवरी 2010

अस्तित्व

शीश झुकने के लिए नहीं, सहर्ष काटने और कटने के लिए है ..
अस्तित्व खरीदने बिकने के लिए नहीं अपने होने को सिद्ध करने के लिए है


हम जिए या मरे यह प्रश्न है व्यर्थ का , हम हारे या जीते यह प्रश्न है समर्थ का
लेकिन इन सबसे बड़ा एक प्रश्न है .. सिंह होकर गीदड़ो का संस्कार क्योँ ?
जीए तो कुछ इस तरह साक्षी रहे ये जमी ...!!!!

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