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शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

माँ

'माँ'- शब्द जिसकी ध्वनि कर्ण-कुहर में प्रवेश करते ही ऐसी अनुभूति होती है जैसे कानो में मधु की मधुरता घुल गई हो,इस शब्द का उच्चारण करने में भी जैसे ध्वनि- सम्प्रेषण के सभी अवयवो का 
एक साथ प्रयोग हो रहा हो..!
नारी चाहे संसार की सकल सिद्धिया प्राप्त करले या समस्त विभूतियों की स्वामिनी बन जाये किन्तु यदि कोई अपनी तुतलाती बोली से उसे माँ कहने वाला नहीं हो तो उसके लिए सब व्यर्थ है, नीरस है...!
 इसी लिए तो किसी शायर ने कहा है-
घास पर खेलता एक बच्चा,पास बैठी i माँ मुस्कराती है ...हैरत है मुझे ये देखकर,क्यों दुनिया काबा ओ सोमनाथ जाती है...
कहते है की भगवान स्वयं धरती पर उपस्थित नहीं हो सकते थे इसलिए अपने प्रतिनिधि के रूप में माँ को भेज दिया ...! अपनी संतान की प्रसन्नता के लिए माँ अपने सभी सुखो को त्याग देती है ,और यह सब करते हुए उसे परम आनंदानुभूति होती है ....एक शायर ने इसे यूं कहा है... .......याद आ गयी माँ,
जब देखा मोमबत्ती को पिघलकर रौशनी देते हुए..!! .......
मैंने बहुत पहले एक कव्वाली सुनी थी जिसका सार-संक्षेप कुछ इस तरह से है-
एक युवक, एक युवती के रूप-जाल के आकर्षण में  बन्ध  कर प्रेम-निवेदन करता है...युवती इसके लिए शर्त रखती है कि यदि वह अपनी माँ का दिल ला कर दे तो अपनी स्वीकृति दे सकती है ...युवक तो जैसे भी संभव हो उसकी स्वीकृति चाहता था....एक पल भी गवाए बिना घर पंहुचा....माँ तो ना जाने कब से उसकी प्रतीक्षा कर रही थी...कहने लगी बेटा बहुत देर हो गयी तुम्हे भूख लगी होगी आओ जल्दी से खाना खा लो ...किन्तु बेटे पर तो जैसे नशा सवार था ...अन्दर से खंजर लाया और भोक दिया माँ की छाती में...और माँ का दिल निकालकर चल पड़ा अपने सपने को पूरा करने ...पेरो में तो जैसे उसके पंख लग गए थे...अचानक ठोकर लगी ...माँ का दिल हाथ से नीचे गिरा और एक आवाज आई ...मेरे बेटे देखू तो तुम्हे कही चोट तो नहीं लगी...पर उसको यह नहीं सुनाई दिया...संभल कर उठा और चल दिया...अपनी महबूबा को अपनी भेट प्रस्तुत कर दी....महबूबा ने उसे कहा-तुम अपनी माँ के नहीं हुए तो मेरे कैसे हो सकते हो....


अंत में.......
* " माँ का प्यार वह उर्जा है जो असंभव को भी संभव बना सकता है!"
*"माँ दुनिया में सबसे अधिक वेतन पाने वाली व्यक्ति है,क्योकि उसे वेतन प्यार के रूप में मिलता है!"
"माँ को ठण्ड लगती है तो वह बच्चो को स्वेटर पहना देती है!"
*"माँ वह बैंक है जहा हम अपने दुःख और तकलीफे जमा कर भूल जाते है और बदले में हमें ब्याज सहित खुशिया मिलती है !"
*"पहली नजर का पहला प्यार होता है...तभी तो हम माँ को पहली बार देखते है और पहला प्यार हो जाता है!"











































                    






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