बुधवार, 10 फ़रवरी 2010
"यद् भावं तद भवति"
"यद् भावं तद भवति...!" - सूत्र के अनुसार आप जैसा मन में संकल्प करेंगे वैसा ही परिणाम प्राप्त किया जा सकता है ! बस आवश्यकता है तो आपकी जिद की...आपकी प्रतिबद्धता की ...आपके आत्मविश्वास की ...अपनी सम्पूर्ण उर्जा को केंद्रीभूत कर प्रयत्न करने की...प्रयत्न ऐसा कि काम करने में आनंदानुभूति होने लगे... कभी परिस्थितिवश प्रयत्न में लंघन हो जाये तो बार-बार मन में कष्ट का अनुभव हो...!
यदि ऐसा करने की सिद्धता आप की है तो निश्चित मानिये आप जैसा चाहेंगे वैसा ही होने लगेगा...हां यदि कोई आपका आत्मीय आप को इसमें प्रोत्साहित करे तो और भी अच्छा है ... सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए ...अपने इष्ट में विश्वास रखकर आगे बढे ....आपके जीवन में चमत्कार घटित होगा...!!! इष्ट में विश्वास यह इसलिए जरुरी है कि भगवान अपने भक्त के संकल्प की पूर्ति के लिए जरुरत होने पर अपना संकल्प तोड़ना पड़े तो तोड़ कर भक्त का संकल्प पूर्ण करने में सहयोग प्रदान करते है...!!!!
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1 टिप्पणी:
अति सुंदर वक्त्यव।
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