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शनिवार, 31 अक्तूबर 2009


" जीवन क्या है ?? "

" What is Life ? "

रात के अँधेरे में चोरो ने फुसफुसाहट की - " जीवन हाथ की सफाई व चोरी का दूसरा नाम है!"


माँ के आँचल से लिपटे नन्हे बालक ने अंगडाई लेते हुए कहा -"जीवन माँ के प्यार का दूसरा नाम है!"


मखमली गद्दों पर बैठे सेठजी बोले - "जीवन ऐश्वर्य और आराम है!"


रणक्षेत्र में विजयी सेनिक ने कहा - "जीवन शत्रु पर विजय पाने को कहते है!"


धुप में तपते परिश्रमी मजदूर ने कहा -"कठिन परिश्रम द्वारा उदर पूर्ति करना ही जीवन है!"


तभी चिकित्सालय में लेटे रोगी ने कहा -"जीवन गम व उदासी का दूसरा नाम है!"


कक्षा में बैठा छात्र चिल्लाकर कहता है - "परीक्षा में सफल होना ही जीवन है!"


तभी वन में समाधी से उठते हुए महात्मा शांत स्वर में बोले - "आत्म ज्ञान करना ही सच्चा जीवन है !"


और उसी क्षण मै चिल्ल्ला उठा - "यह कुछ भी नहीं जीवन ... ! जीवन की कठिनाइयों पर विजय पाकर आदर्श स्थापित कर देना ही जीवन है ! और उनसे घबराकर कायरता से पीछे हटना ही मृत्यू है...!"

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