जैसे हमारे विचार होते है ,ठीक वैसा ही हम बोलते है ,और जैसा हम बोलते है वैसा ही हम काम करते है । लगातार जैसा हम करते रहते है वैसी हमारी आदत बनती जाती है,यही हमारी आदते हमारे स्वभाव को बनाती है.हमारे स्वभाव से हमारे संस्कार बनते है ,यही संस्कार पीढी दर पीढी हस्तांतरित होते रहते जिससे परम्पराए बनती है .यही परम्पराए तो हमारी श्रेष्ठ सांस्कृतिक धरोहर होती है जिस पर हम गर्व करते है.इसीलिए कहा गया है अच्छे विचारो और अच्छी सोच बनाने के लिए श्रेष्ठ जनों की संगत करनी चाहिए ,अच्छी पुस्तके पढ़नी चाहिए.
अपने विचारो पर नज़र रखो , वे शब्द बन जाते है! शब्दों पर नज़र रखो वे कर्म बन जाते है! कार्यो पर नज़र रखो , वे आदत बन जाते है !आदतों पर नज़र रखो , वे चरित्र बन जाती है ! चरित्र पर नज़र रखो , वह तुम्हारी नियति बन जाती है !!!!!!
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